Short Rhymes

॥ गज मुख देवः ॥

परमशिवस्य प्रियतर बालः ।

गज मुख देवो वितरतु भूतिम् ॥

॥ चमर पुच्छ ॥

चमर पुच्छ चमर पुच्छ रामचन्द्र प्रिय मित्र ।

अहमपि इह तव सद्दशं  परोपकारं करोमि ॥

॥ एकं द्वे ॥ 

        एकं द्वे               भारते

        त्रीणि                 त्रिवेणी

      चत्वारि                 मुरारि

पञ्च षट् सप्त           भक्त जन आप्त

अष्ट नव दश            गोष्ठ युव ईश ॥

॥ नाट्य रङ्गे ॥

काञ्चनमाला गायतिसंयक्

चम्पकवल्ली नृत्यति रङ्गे ।

डिण्डिम वाढ्यं धीं तक धीं धीं

नाट्य निनादो झें किट झं झं ॥